कई बार जहन में एक सवाल आता है कि क्या संसार सिर्फ हम इंसानों का है..?
क्या हो अगर दुनिया मे सिर्फ हम इंसान हो संसार मे सिर्फ और सिर्फ इंसानों की हुकूमत चले हमारा संसार हमारी सोच से परे प्रगति कर ले
सही मायने में देखा जाए तो ये धरती ये माहौल ये दुनिया ये सब तो हम इंसानों की है ही नही हम सब तो कर्ज़दार है इस प्रकृति के इस प्रकृति में रहने वाले सुंदर जीवो के
आज संसार मे अधिकतर इंसान इतना स्वार्थी है कि वो अपने स्वार्थ के लालच में प्रकृति पर ओर उसके जीवों पर अत्याचार कर रहा है
आज अपने स्वार्थ के लिए जंगलो को खत्म कर दिया है अपने लालच के लिए जीवो का शिकार किया है क्या उन पेड़ पौधों उन जीवो का इस संसार मे कोई हक़ नही है
हक है सही मायनों में इंसान से अधिक पेड़ पौधों जानवरो इन सबका हक हम इंसान से पहले उनका है क्योंकि हम इंसान से पहले उन जीवो की दुनिया सुखमयी थी आज हम इंसानों ने दुख भर दिया उनके जीवन मे
कभी कभी सोचता हूं कि
देख तेरे संसार की हालत क्या हो गयी भगवान कितना बदल गया इंसान